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- राष्ट्रीय वेद सम्मेलन – 12 जनवरी 2021
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- संस्कृत का वर्तमान एवं भविष्य – टॉक शो
- भगवदज्जुकीयम – बोधायन कृत महान संस्कृत हास्य नाटक का हिन्दी रूपांतरण
- माघ महोत्सव – 2021
- ज्योतिष के आलोक में भारत का भविष्य – टॉक शो
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- संस्कृत साहित्य में आधुनिकता – टॉक शो
- सस्वर वेदपाठ (चारों वेदों का)
- अभिज्ञान शाकुन्तलम् – कालिदास कृत*महान संस्कृत नाटक का हिन्दी रूपांतरण
- माघ महोत्सव – 2021 (समापन समारोह)
- स्वरमंगला
- वेदाश्रम प्रवेश पत्र 2022
- वेद विद्यालय संचालक संस्था से संबंधित सूचना (सत्र 21-2022)
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- श्रेष्ठ वेदाश्रम – विद्यार्थी पुरस्कार – प्रशस्ति योजना
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- संस्कृत सेतु – मासिक ई न्यूज़ लैटर
- स्वरमंगला – अक्टूबर – दिसम्बर 2021
- स्वरमंगला – जनवरी – मार्च 2022
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- आजीवनं संस्कृतसेवालङ्करण-सम्मान:
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- निविदा – 2023
- वार्षिक-परीक्षा आवेदन पत्र-2023
माघ महोत्सव - 2023
राष्ट्रीय वेद सम्मेलन || वेदोऽखिलो धर्ममूलम् || वैदिक प्रबोधन - पुनश्चर्या
राज्यस्तरीय: संस्कृतदिवस-समारोह: - 2022
संस्कार - संस्कृति शिविर




























































भगवत्पादयो: श्रीमच्छङ्कराचार्य-श्रीमद्रामानुजाचार्ययो: जयन्त्युत्सवे











सम्मान समारोह






























संस्कृत फिल्म फेस्टिवल























संस्कृत सेतु - मासिक ई न्यूज़ लैटर




स्वरमंगला
स्वरमंगला ‘राजस्थान संस्कृत अकादमी की त्रैमासिकी संस्कृत -शोध पत्रिका है । यह पत्रिका सन् 1975 से सतत प्रकाशित की जा रही है ।वर्तमान में इस पत्रिका के संपादक आचार्य (डॉ. )श्रीकृष्ण शर्मा,पूर्व संस्कृत विभागाध्यक्ष ,जय नारायण व्यास विश्वविद्यालय, जोधपुर हैं । प्रधान संपादक और प्रबंध संपादक का कार्य क्रमशः पदेन(Ipso-facto) अध्यक्ष, राजस्थान संस्कृत अकादमी एवं पदेन निदेशक ,राजस्थान संस्कृत अकादमी देखते हैं । यह पत्रिका पंजीकृत है. जिसका आर एम नंबर 260 65/ 72 है तथा आई एस एस एन नंबर 2499 -9296 है ।
उक्त पत्रिका में संपूर्ण भारत वर्ष से प्रख्यात संस्कृत विद्वानों , विषयविशेषज्ञो एवं शोध छात्रों के शोधपत्र/अभिनव रचनायें आमंत्रित की जाती हैं । आलेख डाक के पते, जे-15 अकादमी संकुल,झालाना सांस्थानिक क्षेत्र,झालाना डूंगरी, जयपुर (0141-2709120) अथवा rajadthansanskritacademy@gmail.com पर प्राप्त किये जाते हैं । स्वरमंगला में लेख प्रकाशित होने पर विद्वान् लेखकों को सम्मान स्वरूप प्रतीकात्मक मानदेय भी अकादमी द्वारा प्रदान किया जाता है।प्रकाशित आलेख संस्कृत के पाठकों शोधार्थियों एवं विद्यार्थियों को एक सार्थक दिशा- प्रदान करने का कार्य करते हैं । इस पत्रिका का उद्देश्य संस्कृत का संरक्षण , संवर्धन ,प्रोत्साहन एवं प्रोन्नति है । इसके साथ ही शोध कार्य हेतु सतत संलग्न लोगों को प्रोत्साहित कर उन्हें यथा अपेक्षित संस्कृतविषयक प्रामाणिक एवं विश्वसनीय सामग्री उपलब्ध कराना है , संस्कृत लेखकों के सभी आयुवर्ग के लेखकों को लेखन-प्रकाशन हेतु प्रतिष्ठित मंच उपलब्ध कराना है ।कालखंड की महत्त्वपूर्ण घटनाओं ,विषयों -विचारों और संस्कृत आंदोलन को साक्षीभाव से प्रस्तुत करना भी इसका महत्त्वपूर्ण उद्देश्य है। उत्कृष्ट संकलन , पठनीय सामग्री ,समयबद्ध उपलब्धता और पारदर्शिता के साथ प्रकाशन इसकी महत्त्वपूर्ण विशेषता है ।
यह पत्रिका विशेष महत्त्वपूर्ण अवसरों पर विशेषांक के रूप में भी प्रकाशित की जाती रही है । वर्ष 2020 से यह पत्रिका प्रकाशन के साथ राजस्थान संस्कृत अकादमी की वेबसाइट www.rajadthansanskritacademy.com पर भी संप्रदर्शित की जा रही है ताकि इसका विस्तार हो सके और व्यापक स्तर पर शोधार्थी- विद्यार्थी और संस्कृत जन लाभान्वित हों सकें ।यह शोध- विद्यार्थियों के लिए एक प्रामाणिक- आधिकारिक अभिलेख है । इसकी प्रत्येक प्रति का मूल्य ₹25, वार्षिक मूल्य -₹100 और आजीवन मूल्य ₹1000 निर्धारित है ।पाठकों के सुझाव,प्रतिक्रिया का सदैव स्वागत है।


