महाकवि कालिदास
July 19, 2020 2020-07-30 9:42महाकवि कालिदास
विश्वविश्रुत स्वनामधन्य महाकवि कालिदास संस्कृत के पर्यायवाची रूप में जाने जाते हैं। इनका समय यद्यपि विवादास्पद है, परन्तु फिर भी इन्हें ईसा की चौथी शताब्दी (गुप्तकाल) में माना गया है। महाराज विक्रमादित्य के सभासद होने के कारण प्राचीन विद्वान् इन्हें ईसा की प्रथम शताब्दी में स्वीकारते हैं। मालविकाग्निमित्रम्, विक्रमोर्वशीयम् एवं अभिज्ञानशाकुन्तलम् आदि तीन नाटकों, कुमारसम्भवम् एवं रधुवंश महाकाव्यों, मेधदूतम् एवं ऋतुसंहार नामक दो गीति एवं मुक्तक काव्यों के रचयिता के रूप में इनका नाम प्रसिद्ध है। इनकी समस्त रचनाएं सरल संस्कृत में तथा भारतीय संस्कृति का संदेश देने में सफल रही है। यह अकादमी प्रतिवर्ष इनका सादर स्मरण करने के लिए समूचे राजस्थान में किसी भी विशिष्ट स्थान पर कालिदास जयन्ती समारोह आयोजित करती है तथा राष्ट्रकवि के रूप में उन्हें श्रद्धांजलि समर्पित करती है।
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