गतिविधियां


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अकादमी की

प्रमुख गतिविधियां

प्रकाशन

संस्कृत वाड़्मय में अन्‍‍तर्विष्टश ज्ञान को पुस्तकों के संग्रह, सम्पादन, प्रकाशन, निर्वचन, समीक्षा, अनुवाद आदि के माध्यम से प्रकाश में लाने हेतु अकादमी द्वारा अद्यावधि 80 उत्कृष्ट ग्रन्थों का प्रकाशन किया जा चुका है ।

त्रैमासिक संस्कृत पत्रिका का प्रकाशन

अकादमी अपने स्थापना काल से निरन्तर स्वरमंगला त्रैमासिक पत्रिका का संस्कृत में प्रकाशन नियमित रूप से कर रही है। इस पत्रिका में केवल शोधपरक लेखों का ही प्रकाशन किया जाता है। अकादमी द्वारा प्रकाशित स्वपरमंगला पत्रिका शोध-पत्रिका के रूप में सम्पूर्ण भारत में प्रतिष्ठित है। यह पत्रिका शोधार्थियों के लिए बहुत उपयोगी होने के कारण शोधार्थी इसका भरपूर लाभ उठाते हैं।

पाण्डुलिपि सर्वेक्षण, संग्रहण एवं संरक्षण

अकादमी की इस योजना के अन्तर्गत प्रान्त में तथा प्रान्त से बाहर उपलब्ध पाण्डुलिपियों का सर्वेक्षण कर संग्रहित की जाती है। इस योजना के अंतर्गत अद्यावधि 3,000 (तीन हजार) पांडुलिपियाँ संग्रहित की जा चुकी है।

वर्तमान में इन पाण्डुलिपियों को संरक्षित करने का कार्य किया जा रहा है। इस कार्य के पश्चात पाण्डुलिपियों का डिजिटाइजेशन का कार्य प्रारम्भर किया जायेगा।

संस्कृचत पत्र-‍पत्रिकाओं को आर्थिक सहायता

संस्कृत भाषा में प्रकाशित पत्र-पत्रिकाओं को मांग की न्यूनता के कारण आर्थिक संकट का सामना करना पड़ता है। अत: ऐसे पत्र-पत्रिकाओं को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराकर संस्कृत अकादमी उन्हें प्रोत्साकहित करती है।

वेदों के अध्ययन की प्राचीन परम्परा को पुन: प्रतिष्ठित करना

प्राचीन समय में वेदों का संरक्षण श्रुति के माध्यपम से होता था। इस विद्या में वेदपाठी हस्त व संकेतों से सस्वतर वेद पाठ करते थे। आज यह पद्धति लुप्त। प्राय: हो गई है। इसी पद्धति को संरक्षित करने की दृष्टि से अकादमी सम्पूर्ण प्रान्त में 26 वेदाश्रमों का संचालन राज्य सरकार की आर्थिक सहायता से संचालित कर रही है।

इन वेदाश्रमों में अध्ययनरत बटुक सस्वर यजुर्वेद को कंठस्थ करने का अभ्यास करते हैं।

संस्कृत पुस्तकालय

अकादमी द्वारा एक विशाल संस्कृत पुस्तकालय का संचालन किया जा रहा है। पुस्तवकालय में लगभग 7,500 संस्कृंत विषयक ग्रन्थ उपलब्ध‍ हैं। इस पुस्तकालय का उपयोग संस्कृत विद्वान, संस्कृतत छात्र, शोधार्थी छात्र एवं शोधार्थियों द्वारा किया जाता है।

संस्कृत विषयक कार्यक्रमों का आयोजन

संस्कृत के प्रोत्साहन, प्रचार-प्रसार एवं संवर्द्धन हेतु अकादमी प्रतिवर्ष अनेक कार्यक्रमों का आयोजन करती है जिनमें प्रमुख निम्नलिखित हैं :-

(क) संस्कृत संभाषण शिविरों का आयोजन:-

संस्कृत भाषा में वार्तालाप को जनसामान्य में लोकप्रिय बनाने के उद्देश्य‍ से अकादमी द्वारा प्रतिवर्ष सम्पूर्ण प्रान्त में संस्कृत सेवी संस्थाओं के माध्य‍म से संस्कृत सम्भा्षण शिविरों का आयोजन करती है।

(ख) ज्योतिष प्रशिक्षण शिविर:-

ज्योतिष विषय में रूचि रखने वाले जिज्ञासुओं को ज्योतिष का प्रारम्भिक ज्ञान कराने के उद्देश्य से अकादमी भी प्रतिवर्ष प्रान्त में विभिन्न स्थानों पर ज्योतिष प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन करती है।

(ग) पौरोहित्य प्रशिक्षण शिविर:-

पौरोहित्य प्रशिक्षण शिविरों का आयोजन कर अकादमी पूजा-पाठ की पद्धतियों का ज्ञान प्रदान कर अधिकृत पण्डितों को तैयार करने का प्रयास करती है।

(घ) राष्ट्रीय एवं प्रान्तीय संगोष्ठियों का आयोजन:-

अकादमी प्रतिवर्ष विभिन्न विषयों पर राष्ट्रीय एवं प्रान्तीय संगोष्ठियों का आयोजन कर जन-सामान्य को संस्कृत की प्राचीन धरोहर से अवगत कराने का कार्य करती है। इन संगोष्ठियों में शोध-पत्रों के वाचन द्वारा सम्बंधित विषय पर प्रकाश डाला जाता है।

(ड़) विशिष्ट व्याख्यान :-

संस्कृत साहित्य के किसी विषय विशेष पर प्रान्तीाय एवं राष्ट्रीय स्तर के  विद्वानों को आमंत्रित कर सम्बन्धित विषय पर व्याख्यान प्रस्तुत कराये जाते है। इन व्याख्यान में जिज्ञासु व्याख्यान कर्त्ता से प्रश्न कर अपने समाधान भी प्राप्त करते हैं।

(च) प्रतियोगिताओं का आयोजन:-

अकादमी महाविद्यालय, विद्यालय स्‍तर पर विभिन्न प्रतियोगिताऐं आयोजित कर विद्यार्थियों में संस्कृत की रूचि उत्पन्न करने का कार्य करती है। इन प्रतियोगिताओं के अन्तृर्गत अकादमी सामान्य‍-ज्ञान, वाद-विवाद, श्लोक-पाठ, अन्ताक्षरी आदि प्रतियोगिताऐं आयोजित करती है।

पुरस्कार एवं सम्‍मान प्रदान करना:

संस्कृत लेखकों को प्रोत्सातहित करने के उद्देश्यों से संस्कृत रचना को पुरस्कृत करने का कार्य किया जाता है।

इसी प्रकार संस्कृत के विषय-विशेषज्ञ विद्वानों को सम्मान प्रदान किये जाते हैं।

विद्वानों को पुरस्का‍र एवं सम्मान प्रतिवर्ष अकादमी के वार्षिकोत्सव पर प्रदान किये जाते हैं।

आर्थिक सहायता

(क) प्रकाशन हेतु आर्थिक सहायता:-

संस्कृत के ऐसे लेखक जो निरन्तर संस्कृत साहित्य का सृजन कर रहे हैं परन्तु अर्थाभाव मे अपनी रचनाओं को प्रकाशित नहीं कर पा रहे हैं, ऐसे लेखकों को प्रकाशन हेतु आर्थिक सहायता प्रदान कर उनकी रचनाओं को प्रकाश में लाने का कार्य करती है।

(ख) विपन्न आर्थिक सहायता:-

संस्कृत के ऐसे विद्वान जिन्होंने जीवन पर्यन्त संस्कृत की सेवा की है तथा वृद्धावस्था में आर्थिक अभाव में जीवन यापन कर रहे हैं उन विद्वानों अथवा विद्वानों के अभाव में उनकी विधवाओं को एकमुश्त आर्थिक सहायता प्रदान कर आर्थिक संबल प्रदान किया जाता है।

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