सूर्यरश्मियों की उपस्थिति मात्र से ही जैसे तम का नाश हो जाता है, आपके स्मरणमात्र से ही पुण्यहीनों की भी कुण्ठाओं का शमन हो जाता है। दिव्यात्माओं द्वारा भी अभिलषित आपका पावन जल मेरे त्रिविध ताप को दूर कर दे।
ऐसी स्तुति गङ्गा को केवल एक नदी रूप में ही नहीं अपितु माता के रूप में उदात्त पीठिका पर प्रतिष्ठापित करती है। स्थूल मल के साथ मनोगत मल-मालिन्य की भी निवारिका गङ्गा है- यह कवि-भाव वस्तुतः हमें आन्दोलित करता है। आधिभौतिक, आधिदैविक तथा आध्यात्मिक तापों का शमन करने वाली हमारी गङ्गा-जननी हम-सभी की वन्द्या है।
आधुनिक संस्कृत महाकाव्य ‘रक्षत गङ्गाम्’ भी गङ्गा के स्वरूप का सुन्दर उद्भव एवं विकास प्रस्तुत करता है। डॉ. कमला पाण्डेय का यह महाकाव्य 11 सर्गों में तथा पाँच खण्डों में निबद्ध है। इस महाकाव्य में उत्पत्तिखण्ड के अन्तर्गत गङ्गा के उत्पत्तिविषयक पौराणिक तथा आधुनिक मतों का सन्निवेश है। द्वितीय खण्ड यात्रा खण्ड है। तृतीय से अष्टम सर्ग पर्यन्त गङ्गा के गोमुख से निकलकर देवभूमि हिमालय से होते हुए सागर-पर्यन्त प्रवाह का भौगोलिक वर्णन है। गङ्गा की सहायक नदियों अलकनन्दा, भागीरथी, मंदाकिनी इत्यादि का सुन्दर निरूपण इस महाकाव्य की शोभा का सम्वर्धन करता है।
अध्यात्म खण्ड में डॉ. कमला पाण्डेय ने गङ्गा के अवतरण और भगीरथ आदि का दर्शनानुसारी विवेचन किया है। अन्तिम खण्ड में प्रदूषण तथा उसके निवारण के उपायों पर चर्चा की गई है।
प्रो. आर.सी. शर्मा ने ‘रक्षत गङ्गाम्’ महाकाव्य पर महत्त्वपूर्ण टिप्पणी करते हुए कहा –
Comments (35)
RAMAKANTMR PANDEY
ज्ञानप्रद आलेख।
Saroj Kaushal
हार्दिक धन्यवाद
RAMAKANTMR PANDEY
महत्त्वपूर्ण जानकारी ।
Dr.Jaya Bhandari
very very informative, inspirational very well written………..Namami Gange.
Maina
Very effective and knowledge
Thought🙏🙏
Jagdish
Best Blog
Jagdish
We all are satisfied in this
Dr.Raju
प्रो सरोज कौशल मैैडम द्वारा लिखा गया ब्लॉग अति उत्तम एवं ज्ञानवर्धक है
Dr. Taresh kumar sharma
अतिसुन्दर आलेख l पतित-पावनी भागीरथी का सुन्दर प्रवाह वाचिक प्रवाह से प्रवाहित है l अभिनन्दनीय🙏💕
Monika Sharma
Amazingly deep explanation.
Dr kailash kaushal
देव सरिता गंगा के पौराणिक उत्स से ले कर अद्यावथि उसकी प्रवहमानता एवं महत्ता का सांगोपांग विवेचन, मोक्ष दायिनी गंगा एक नदी मात्र ही नहीं है, यह समूची संस्कृति है, यह हमारी समृद्ध परंपराओं का यशस्वी आख्यान है, जिसे प्रस्तुत विवेचन में सहेजा गया है, लेखिका को साधुवाद, गंगा की अविरल धारा सदृश यह लेखनी भी अविराम करती रहे।
Saroj Kaushal
गंगा की धारा जिस प्रकार अविरल प्रवहित होती है उसी प्रकार हमारी संस्कृति भी निरन्तर उत्कर्ष की ओर अग्रसर होती रहे , यही राष्ट्रीय मंत्र बने।
Pawan k sethhi
Well researched, quite enlightening and very well articulated. Congratulations for a nice piece of creative and excellent words on Gamga maiya.
Saroj Kaushal
Thank u very much, there is a limit in blog otherwise we can fully quote ganga lahri of Pandit Raj Jagnnath.
Purushottam soni
अति सुन्दर लेख।
Sharmila Suranaप
ज्ञानप्रद लेख, गंगा मैया के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी मैडम के द्वारा दी गई अति उत्तम है 🙏🙏
Divya
ज्ञानवर्धक ब्लॉग …..गंगा नदी के विषय में कई नई जानकारियां मिलीं।
डाॅ कमला चौधरी
अति उत्तम एवं ज्ञानवर्धक मैम
आपको बहुत बहुत बधाई एवं शुभकामनाएं 🙏🙏
Dr. Ritu Johri
Very nice depicted.
Wonderful
Thanks
Saroj Kaushal
आपकी कलाप्रियता से यह आलेख और भी अधिक सुशोभित होगा।
ललित कला तथा साहित्य परस्पर पूरक ही हैं।
Bhopal
But brahmins didn’t protected the ganga intested of it they had destroyed by population explosion
Bhopal
In future ganga will vanish due to climate change due to population explosion
Dhirendra chaturvedi
Very nice information about MAA Ganga
Akshay surana
पतित पावनी गंगा मैया के वैशिष्ट्य का संस्कृत साहित्य केआलोक में सारगर्भित वर्णन महोदया 🙏🙏
Vibha Aggarwal
गङ्गा नदी के विषय में उत्तम शोधात्मक जानकारी प्रदान करने के लिए आपके प्रति आभार 🙏
Saroj Kaushal
धन्यवाद महोदया, गंगा नदी के विषय में जितना अध्ययन करते हैं आस्था का स्तर पूर्वापेक्षा सम्वर्धित हो जाता है।
डॉ. ओम प्रकाश टा क
गंगा नदी पर इतना सुगठित और चिंतन परक आलेख.पढकर धन्य हुआ.गंगा माँ मे धर्म और अध्यात्म की रस धार बहती है.विदुषी सरोज कौशल जी को कोटिशः बधाई और अकादमी के प्रति हार्दिक आभार.
Saroj Kaushal
भारतीय संस्कृति की महत्त्वपूर्ण अवधारणा पुरुषार्थ चतुष्टय का गंगा आधान कराती है। यदि हम सूक्ष्मेक्षिकया अनुभव करें तो यह हमें रोमांचित करता है।
Mukesh jain
आदरणीय मैडम ,आपके लेखन से सदैव ही नवीन एवं ज्ञानवर्धक तथ्यों का उद्घाटन होता है । इसके द्वारा निश्चित रूप से मातृतुल्य माँ गंगा के संरक्षण एवं संवर्द्धन हेतु प्रेरणा प्राप्त होगी । स्कंद पुराण के उद्धरण द्वारा गंगा शब्द की व्युत्पत्ति के बारे में ज्ञान हुआ, आधुनिक संस्कृत साहित्य में भी ऐसे विषयों पर लेखन निस्संदेह प्रशंसनीय है । पर्यावरण घटकों में दैवीय स्वरूप का आधान कर उनके संरक्षण हेतु मनोवैज्ञानिक प्रेरणा प्रदान करने वाले भारतीय मनीषियों के चिंतन को कोटि कोटि वंदन ।
Shubhankar Sharma
Such intensity of knowledge, kneaded in a single blog. This is an ideal blog for neo-Indians, who may be unaware of rich Bhartiya civilisation, cultures, traditions, rivers and their importance. It also, paves a path for beginners in Sanskrit and Bhartiyatva.
Pawan Kumar nagar
सुंदर और सारगर्भित
डा. प्रवीण पंड्या
गङ्गा के मोक्षदायिनी और पतितपावनी होने का अर्थ तो यह आलेख खोलता है ही, तत्त्व चिन्तन से आधुनिकता से जन्मे पर्यावरण संरक्षण अभियान तक की व्याप्ति लिए हुए है। दो विशेषणों में पूरा गङ्गा माहात्म्य पिरो दिया है। डा कमला पाण्डेय के काव्य तक के संस्कृत साहित्य में गङ्गा की गरिमा और महिमा पर अच्छा प्रकाश डाला है।
Maina
Very useful and effective thought🙏🙏
Vandana punia
Excellent
डॉ. सत्यमुदिता स्नेही, असिस्टेंट प्रोफेसर संस्कृत
“भारतीय संस्कृति की अग्रध्वजा-पतित पावनी गंगा’ पर आपके द्वारा लिखे गए इस लेख को पढ़कर मेरे अज्ञान का नाश हुआ और मेरे भीतर ज्ञान रूपी गंगा बहने लगी आपकी इस ज्ञान गंगा में गोता लगाकर मैं अपने आप को धन्य समझती हूं। बहुत-बहुत धन्यवाद मैडम। आप इसी तरह संस्कृत साहित्य के ज्ञान की गंगा अनवरत रूप से प्रवाहित करती रहे।