सनातन धर्म में पूजा – पाठ – यग- हवन एवं वोडष संस्कारो का बहुत ही महत्व है| उपर्युक्त सभी कार्यक्रम पुरोहित द्वारा ही संपन्न कराये जाते हैं | यदि पुरोहित शास्त्रानुसार एवं विधि- विधान से पोरोहित्य कर्म करता है | तो निश्चय ही इसका सार्थक परिणाम प्राप्त होता है | प्राय: यह देखने में आता है कि पौरोहित्य कर्म करने वाले पुरोहित को उचित प्रशिक्षण नहीं मिलने के कारण वह शास्त्रोयुक्त विधि से पौरोहित्य कर्म नहीं कराते हैं | इसी को द्रष्टिगत रखते हुए अकादमी पूजक – अर्चक प्रशिक्षण कार्यक्रम राजस्थान कौशल एवं आजीविका विकास निगम जयपुर के सहयोग से आयोजित कर रहा है|
उदेश्श्य :-
पूजक – अर्चक प्रशिक्षण कार्यक्रम के द्वारा योग्य एवं अधिकृत पुरोहित तैयार करना
प्रशिक्षणार्थियों को वैदिक संस्कृति का ज्ञान|
प्रशिक्षणार्थियों को पूजा – पाठ – यज्ञ- हवन एवं संस्कारों का सैद्धांतिक एवं प्रायोगिक ज्ञान के द्वारा कुशल पुरोहित तैयार करना|
पूजा – पाठ – यज्ञ- हवन एवं पौरोहित्य कर्म में प्रयुक्त होने वाली सामग्री के निर्माण की विधि में प्रशिक्षणार्थियों को कुशल बनाना|
कर्मकांड व ज्योतिष शतर में रोजगार उपलब्ध कराना|
प्रशिक्षण कार्यक्रम का कार्य क्षेत्र :-
राजस्थान संस्कृत अकादमी द्वारा सम्पूर्ण प्रदेश में प्रशिक्षण संचालित किये जाने की योजना है| वर्तमान में प्रदेश का एकमात्र प्रशिषण केन्द्र ऋग्वेदी ब्राह्मण गायत्री मंदिर , गोगागेट के बाहर संचालित हो रहा है|
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