पाण्डुलिपियों को बचाइए - अतीत की रक्षा, भविष्य की सुरक्षा
विश्व में, भारत के पास सबसे बड़ा पाण्डुलिपि संग्रह है।
विभिन्न भारतीय भाषाओं और लिपियों में रचित इस संग्रह में धर्म, दर्शन, विज्ञान, कलाओं और साहित्य का व्यापक समावेश है।
भुर्ज-पत्र, ताइ-पत्र, कपड़ा, लकड़ी, पत्थर और कागज़ आदि विभिन्ञ सामग्रियों पर लिखी ये पाण्डुलिपियां सम्पूर्ण देश और विदेशों में मिलती हैं।
इसमें से कुछ सम्पदा विलुप्त हो चुकी है जबकि इसका काफी बड़ा हिस्सा क्षतिग्रस्त होने की स्थिति में है।
पाण्डुलिपियों को बचाने के लिए निम्नलिखित महत्वपूर्ण बातों का हमेशा ध्यान रखें :
उन्हें ऐसे स्थान पर न रखें जहाँ सीधी धूप आती हो |
पाण्डुलिपियों को एक- दूसरे के ऊपर न रखें |
उन्हें ठीक करने के लिए सैलोटेप या लेमिनेशन का प्रयोग न करें |
क्या कुछ करने की आवश्यकता है :
पाण्डुलिपियों की सुरक्षा के लिए पूरी सावधानी बरतें।
पाण्डुलिपियों के पन्नों को नरम ब्रुश या कपड़े से ध्यान पूर्वक साफ करें।
ताड पत्रों पर लिखी पाण्डुलिपियों को चारों ओर से थोड़े बड़े लकड़ी के फट्टे पर रखें और कपड़े (हो सके तो लाल रंग के कपड़े) में लपेटें और सूती धागे से बांघ कर रखें।
बरसात के मौसम में, सिलिका जैल का प्रयोग करें ताकि फफुँदी आदि से बचाव हो सके।
गर्मियों में खस-खस की मैट्स का प्रयोग करें और थोडी-थोड़ी देर बाद उन पर पानी छिड़कते रहें।
कीड़ों की रोकथाम के लिए, कीड़ों को भगाने वाले पदार्थों, फिनाइल की गोलियों और पारा डाई क्लोरो बेंजीन को कपड़े की छोटी-छोटी थैलियों में रखकर प्रयोग करें। अलमारियों में प्राकृतिक चीजें जैसे कि नीम की पत्तियां, लॉग,कपूर आदि रखें।
कुछ महीनों के बाद पाण्डुलिपियों को अलमारियों से बाहर निकालें, उन्हें हवा-धूप लगवाएं और जरूरत हो तो नरम ब्रुश से साफ करें और दोबारा रख दें।
यदि ताड़ पत्रों या कागज पर लिखी पाण्डुलिपि क्षतिग्रस्त और खराब हालत में है तो उसे बचाने का उपचार करने के लिए अपने क्षेत्र के नजदीकी पाण्डुलिपि संरक्षण केन्द्र से सम्पर्क करें।
Select the fields to be shown. Others will be hidden. Drag and drop to rearrange the order.