परशुराम की प्रतीक्षा

परशुराम जयंती की हार्दिक शुभकामनाएं

परशुराम की प्रतीक्षा

परशुराम की प्रतीक्षा

गाओ  कवियों!  जयगान  कल्पना तानों,
आ  रहा  देवता  जो,  उसको  पहचानों ।
है  एक  हाथ  में  परशु,  एक में कुश है,
आ  रहा  नए  भारत  का भाग्य पुरुष है।

अंगार   हार   अरपो,   अर्चना  करो  रे !
आंखों की  ज्वालाएं  मत   देख  डरो रे !
यह असुर भाव का शत्रु,   पुण्य त्राता है,
भयभीत मनुज के लिए अभय -दाता है।

यह वज्र  वज्र के लिए, सुमों का  सुम  है ;
यह और नहीं कोई, केवल हम – तुम है।
यह नहीं जाति का, न तो गोत्र बंधन  का ;
आ रहा मित्र भारत भर के जन -जन का।

गांधी – गौतम का  त्याग   लिए  आता है,
शंकर का  शुद्ध  विराग  लिए  आता है।
सच  है  आंखों  में  आग  लिए  आता है,
पर यह स्वदेश का भाग लिए आता है ।

मत  डरो  संत  यह  मुकुट नहीं  मांगेगा,
धन  के निमित्त  यह धर्म  नहीं  त्यागेगा।
तुम  सो   गए तब भी  यह  ऋषि जागेगा,
ठन  गया  युद्ध  तो  बम  – गोले दागेगा ।

विक्रमी   रूप  नूतन  अर्जुन   जेता  का,
आ  रहा  स्वयं  यह  परशुराम  त्रेता का ।
यह  उत्तेजित ,  साकार ,  क्रुद्ध भारत है,
यह  और   नहीं  कोई, विशुद्ध भारत  है।

हर धड़कन पर वह सजल मेघ सिहरेगा,
गत  और  अनागत  बीच  व्यग्र  बिहरेगा
बरसेगा  बन  जल  धार  तृषित धानों पर ,
बन    तडिद्वार    छूटेगा    चट्टानों    पर।

जब  वह आएगा,   द्विधा – द्वंद्व  बिनसेगा,
आलिंगन  में  अवनी  को व्योम  कसेगा।
विज्ञान   धर्म   के  धड़   से भिन्न न होगा ,
भवितव्य  भूत   गौरव  से छिन्न न होगा ।

जब  वह  आएगा  खल  कुबुद्धि  छोड़ेंगे ,
सब  सांप  आप  ही  फण  अपने तोड़ेंगे।
विषवाह- अभ्र  अब गांधी पर नहीं गिरेंगे
शांति   के   नीड़   में  गोले  नहीं  गिरेंगे।

(खंड चार)

– राष्ट्रकवि रामधारीसिंह दिनकर

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