भरतमुनिप्रणीत – नाट्यशास्त्र ( BharatmuniPrneet – Natyshastra )
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भरत अथवा भरतमुति के द्वारा विरचित नाट्यषास्त्र नाट्य (नाटक एवं रंगमंच) पर सबसे विस्तृत एवं प्राचीन ग्रन्थ है। दूसरी शताब्दी ई0पू0 संकलित नाट्यषास्त्र वास्तव में विष्वकोषीय प्रवृत्ति की एक कला है। नाट्यशास्त्र विभिन्न अनुशासित विषयों और उपविषयों जैसेः संगीतशास्त्र, सौन्दर्यशास्त्र, शिल्पशास्त्र, वास्तुशास्त्र, साहित्यशास्त्र जैसे विषयों की एक विशद श्रृंख्ला से भी संबंधित है तथा 37 अध्यायों में लगभग 6000 श्लोकों में पद्यरुप में निर्मित है। नाट्यशास्त्र की खोज उन्नीसवीं सदी में प्राप्त पाण्डुलिपियों और पाठ के बाद प्रकाशन के दौरान सौन्दर्यशास्त्र और रंगमंच के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक रही है।
भरत अथवा भरतमुति के द्वारा विरचित नाट्यषास्त्र नाट्य (नाटक एवं रंगमंच) पर सबसे विस्तृत एवं प्राचीन ग्रन्थ है। दूसरी शताब्दी ई0पू0 संकलित नाट्यषास्त्र वास्तव में विष्वकोषीय प्रवृत्ति की एक कला है। नाट्यशास्त्र विभिन्न अनुशासित विषयों और उपविषयों जैसेः संगीतशास्त्र, सौन्दर्यशास्त्र, शिल्पशास्त्र, वास्तुशास्त्र, साहित्यशास्त्र जैसे विषयों की एक विशद श्रृंख्ला से भी संबंधित है तथा 37 अध्यायों में लगभग 6000 श्लोकों में पद्यरुप में निर्मित है। नाट्यशास्त्र की खोज उन्नीसवीं सदी में प्राप्त पाण्डुलिपियों और पाठ के बाद प्रकाशन के दौरान सौन्दर्यशास्त्र और रंगमंच के इतिहास की महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक रही है।
भरतमुनिप्रणीत
नाट्यशास्त्र
संक्षिप्त पाठ का सम्पूर्ण हिन्दी अनुवाद
राधावल्लभ त्रिपाठी
नोट – कूरियर चार्जेज ग्राहक को ही वहन करने होंगे.
Dimensions | 1 × 14.801 × 21.001 cm |
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