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मनीषी पं. श्री विद्याधर जी शास्त्री , बीकानेर

Sanskrit Surya

मनीषी पं. श्री विद्याधर जी शास्त्री , बीकानेर

 राजस्‍थान के सुप्रसिद्ध भाष्‍याचार्य पं. श्री हरनामदत्‍त जी के पौत्र, पं. देवीप्रसाद जी शास्‍त्री के पुत्र पं.श्री विद्याधर जी शास्‍त्री का जन्‍म संवत् 1958 में हुआ था। 1918 इस्वी में शास्‍त्री परीक्षा उत्त्‍तीर्ण कर सन् 1928 ईस्‍वी में आपने एम.ए. संस्‍कृत की उपाधि प्राप्‍त कर ली थी। 41 वर्षो तक आपने डूंगर कॉलेज, बीकानेर में संस्‍कृत का अध्‍यापन किया । सेवानिवृत्ति के बाद कुछ समय आप अलीगढ (उ.प्र.) रहे । तदनन्‍तर आपने बीकानेर में हिन्‍दी विश्‍व‍भारती की संस्‍थापना की तथा हिन्‍दी, संस्‍कृत, मारवाडी भाषा के साहित्यिक कार्य के सूत्रधार रहे । आपने ‘विश्‍वम्‍भरा’ पत्रिका का प्रकाशन प्रारम्‍भ किया जो आज भी प्रकाशित हो रही है।

संस्‍कृत भाषा के अध्‍यापन मार्ग से संस्कृत शिक्षा का व्‍यापक प्रचार के उपरान्‍त सम्‍मेलनों व परिषदों के माध्‍यम से भी आपकी सुरभारती सेवा संस्‍मरणीय है। कलम के धनी श्री शास्‍त्री जी ने अपने जीवन काल में 3 महाकाव्‍य (हरनामामृतम् व विश्‍वमानवीयम्) 7 लघु काव्‍य (वैचित्र्यलहरी, आनन्‍दमंदाकनी, हिमाद्रिमाहात्‍म्‍यम् प्रभृति) 3-4 नाटक (पूर्णानन्‍दम्, कलिदैन्‍यम्,दुर्बलवलम्)। चम्‍पू काव्‍य (विक्रमोभ्‍युदयम्)व मत्तलहरी अनेक स्‍तोत्र व नीति काव्‍यों (नवभारत स्‍मृति आदि) की रचना की जो अकादमी से विद्याधरग्रन्‍थावली  के रूप में प्रकाशित हैं।

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