About Us
July 3, 2020 2021-11-16 20:49About Us
राजस्थान संस्कृत अकादमी
परिचय
राजस्थान संस्कृत अकादमी की स्थांपना वर्ष 1980 में संस्कृत दिवस के अवसर पर राजस्थान सरकार के द्वारा की गई | संस्कृत अकादमी की स्थापना के मूल उद्देश्यों में संस्कृत भाषा एवं उसके साहित्य का संरक्षण, विकास एवं प्रोत्साहन के लिए शोध संस्थान की स्थापना; संस्कृत वाड्मय में अन्तर्विष्ट ज्ञान का प्रकाशन एवं अन्य भाषाओं में अनुवाद तथा उसका प्रचार-प्रसार; वैदिक परम्परागत उच्चारण एवं प्रक्रियाओं का संरक्षण इत्यादि संस्कृत के उन्नयन से संबंधित अनेक कार्य सम्मिलित हैं |
अकादमी सम्पूर्ण प्रदेश में विभिन्न महत्त्वपूर्ण सामयिक विषयों पर विचार गोष्ठियाँ, कार्यशालाएं, विभिन्न जयन्तियां, संस्कृत कवि सम्मेलन, रचनाधर्मिता शिविर, ज्योतिष-पौरोहित्य-संस्कृत सम्भाषण शिविर, मंत्रोच्चारण प्रतियोगिता, सिद्धान्त एवं प्रयोग आधारित कार्यशालाओं का आयोजन करती है| संस्कृत के वरिष्ठ विद्वानों के मार्गदर्शन एवं सान्निध्य में युगानुकूल शोध लेखन को प्रोत्साहन एवं उसका प्रकाशन करती है।
अकादमी अब तक 100 से अधिक ग्रन्थों का प्रकाशन कर चुकी है| संस्कृत लेखन को प्रोत्साहित करने हेतु लेखकों को उनके स्वरचित ग्रन्थों को प्रकाशित करवाने के लिए भी अकादमी आर्थिक सहायता प्रदान करती है। विपन्न संस्कृत विद्वानों को आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है। अकादमी द्वारा त्रैमासिक पत्रिका ‘स्वरमंगला’ का प्रकाशन निरन्तर हो रहा है| यह पत्रिका शनै: शनै: अत्यन्त उत्कृष्ट शोधपत्रिका का स्वरूप ग्रहण कर चुकी है तथा इसमें बहुधा संस्कृत वाड्य के गूढ विषयों पर गम्भीर चिन्तन से अध्येता लाभान्वित हो रहे हैं ।
संस्कृत में मौलिक लेखन को प्रोत्साहन देने की दृष्टि से अकादमी प्रतिवर्ष अखिल भारतीय तथा राज्य स्तर के पुरस्कार एवं सम्मान प्रदान करती है | जिनमें माघ पुरस्कार, पद्मश्री डॉ. मण्डन मिश्र पुरस्कार तथा पं. अम्बिकादत्त व्यास पुरस्कार प्रमुख हैं ।
अकादमी के
उद्देश्य
- संस्कृत भाषा एवं उसके साहित्य का संरक्षण, विकास एवं प्रोत्साहन करने की दृष्टि से केन्द्रीय शोध संस्थान, जयपुर में स्थापित करना।
- संस्कृत वाङ्मय में अन्तर्निहित ज्ञान को पुस्तकों के संग्रह, सम्पादन, प्रकाशन, निर्वचन, समीक्षा, अनुवाद आदि के माध्यम से प्रकाश में लाना।
- संस्कृत के महत्वपूर्ण ग्रन्थों को हिन्दी एवं अन्य भाषाओं में अनुवाद एवं उनके प्रकाशन की व्यवस्था तथा हिन्दी व अन्य भाषाओं के उत्कृष्ट ग्रन्थों का संस्कृत में अनुवाद व प्रकाशन।
- देश की भावनात्मक एकता की दृष्टि से उपयुक्त संस्कृत साहित्य का प्रचार – प्रसार।
- वेदों के परम्परागत उच्चारण व वैदिक प्रक्रियाओं का संरक्षण, प्रशिक्षण, प्रकाशन एवं प्रचार।
- संस्कृत भाषा को जनसुलभ बनाने की दृष्टि से मानक ग्रन्थों तथा उनके अनुवादों के सस्ते और प्रमाणिक संस्करण उपलब्ध कराना।
- संस्कृत क्षेत्र में कार्यरत प्रख्यात संस्थाओं से संस्कृत साहित्य का आदान-प्रदान एवं सम्पर्क करना ।
- सुदूर अंचलों में फैली हुई संस्कृत की हस्तलिखित कृतियों, पाण्डुलिपियों का सर्वेक्षण, क्रय, संग्रह एवं प्रकाशन।
- संस्कृत सम्बन्धित पुस्तक संग्रहालय एवं पुस्तकालयों के समर्पण को स्वीकार करना तथा उनकी व्यवस्था करना।
- संस्कृत शोध प्रत्रिका का प्रकाशन।
- संस्कृत पत्र-पत्रिकायें प्रकाशित करना एवं प्रकाशित हो रही प्रदेश की संस्कृत पत्र-पत्रिकाओं को सहायता देना।
- संस्कृत लेखकों, साहित्यकारों एवं कवियों से उत्कृष्ट कृतियां लिखवाना तथा उनका सम्पादन करवाना, प्रकाशित कृतियों पर पुरस्कार देना।
- संस्कृत भाषा, साहित्य के रचनाकारों, वृद्ध एवं विपन्न विद्वानों को आर्थिक सहायता प्रदान करना।
- संस्कृत भाषा के उच्चाध्ययन के निमित्त निर्दिष्ट अवधि के लिए सुविधायें एवं आर्थिक सहायता प्रदान करना।
- संस्कृत वाङ्मय के विभिन्न विषयों पर विद्वानों के व्याख्यानों, भाषणों का आयोजन, विचारगोष्ठी, उपनिषद्, प्रदर्शनी, कवि सम्मेलन, समारोह, संस्कृ्त प्रतियोगितायें, लेखक सम्मेलन, ज्योतिष, पौरोहित्य, वास्तु, संभाषण शिविरों का आयोजन।
- संस्कृत नाटकों के मंचन को प्रोत्साहित करना।
- संस्कृत साहित्यकार कल्याण कोष की स्थापना तथा उसका उपयोग करना।
- संस्कृत साहित्य के क्षेत्र में कार्य करने वाली पंजीकृत संस्थाओं को मान्यता प्रदान करना एवं आवश्यकतानुसार सहायता प्रदान करना।
- ऐसे सभी प्रासंगिक कार्य करना, जो ऊपर निर्दिष्ट उद्देश्यों को आगे बढाने में सहायक हों ।